दोहा अपभ्रंश का जातीय छन्द कहलाता है। हिन्दी भाषा के स्वरूप निर्धारण से भी पहले से दोहा छन्द प्रचलित रहा है। इतना प्राचीन इतिहास होने के बावजूद आज भी दोहा उतनी ही मारक क्षमता के लिखा जा रहा ภาษาไทย इस विधा ने हर काल में अपने आप को परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप ढाला और अनी जीवन्तता को บะบะระ ภาพ हमने यहाँ दोहा विधा में लेखन करहे समकालीन रचनाकारों को हिन्दी के पाठकों करहे समकालीन रचनाकारों को हिन्दी के पाठकों के ऑनलाइन मचाध्यम को को हिन्दी के पाठकों के ऑनलाइन मचाध्यम कान्दी यह एप हिन्दी के वर्तमान दोहाकारों का एक कोश बनकर उभरे, यह हमारा प्रयास रहेगा। समय-समय पर इसमें नए दोहाकार शामिल किये जाते रहेंगे तथा संभव प्रयास किया जाएगा कि जाते रहेंगे तथा हर संभव प्रयास किया जाएगा कि й एोनिकोन्यार संभव प्रयास किया जाए गा कि जाते कोनिकोन कोनिकोन्यास इससे जुड़कर, इसे पढ़कर आपका अनुभव कैसा रहा, हमें ज़रूर บะทะएँ।
इस एप की मुख्य विशेषtaएँ-
* निरन्तर नए रचनाकारों का समावेश।
* ऑफलाइन सपोर्ट: बिना इन्टरनेट के भी रचनाओं का लुत्फ़ लें।
* बहुत हल्का और सुरक्षित एप।
* किसी प्रकार के लोगिन की आवश्यकता नहीं।
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प्रवीण कुमार, एप डेवलपर
गाँव पावटी, जिला पानीपत (हरियाणा)