हवन विधि APP
पूजा-पाठ तो हम सभी करते हैं, लेकिन क्या हमें इस का पूरा फल प्राप्त होता है। क्या हम अनजाने में पूजा पाठ में कुछ गलती तो नही ं कर रहे। जिस प्रक ह काम के क क की एक विधि है एक त त त त त त त त त त त विधिय विधिय विधिय होती हैं ह ह देवी देवी देवत तीज तीज अपने के के के के के के के के ह लिए के के लिए ह अपने अपने के के लिए के अपने के के लिए लिए अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने ईष अपने अपने अपने अपने आदि अपने आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि आदि की आदि के के होती होती होती त ह ह ह त ह त त त विधिय के देवी की अलग- अलग विधि हैं, इन्हें ही पूजा-विधि कहा जाता है।.
प्राचीन काल में कुण्ड चौकोर खोदे जाते थे, उनकी लम्बाई, चौड़ाई समान होती थी। यह इसलिए था कि उन दिनों भरपूर समिधाएँ प्रयुक् त होती थीं, घी और सामग्री भी बहुत-बहुत होमी जाती थी, फलस्वरूप अग्नि की प्रचण्डता भी अधिक रहती थी । उसे नियंत्रण में रखने के लिए भूमि के भीतर अधिक जगह रहना आवश्यक था। उस स्थिति में चौकोर कुण्ड ही उपयुक्त थे। पर आज समिधा, घी, सामग्री सभी में अत्यधिक मँहगाई के कारण किफायत करनी पड़ती है। ऐसी दशा में चौकोर कुण्डों में थोड़ी ही अग्नि ज ल पाती है और वह ऊपर अच्छी तरह दिखाई भी नहीं पड़त ी। ऊपर तक भर कर भी वे नहीं आते तो कुरूप लगते हैं। .