RTI in Hindi - Study Guide APP
सूचना का अधिकार अर्थात राईट टू इन्फाॅरमेशन। Das ist nicht alles, was ich meine धिकार, जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष् ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है।
लोकतंत्र में देश की जनता अपनी चुनी हुए व्यक्ति को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और यह अपेक्ष ा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष् ठा के साथ अपने दायित्वों का पालन करेगी। लेकिन कालान्तर में अधिकांश राष्ट्रों ने अपने दायित्वों का गला घोटते हुए पारदर्शिता और ईमाा.दा री की बोटियाँ नोंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी और भ ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कीर्तिमान कायम करने को ए क भी मौक अपने हाथ से गवाना नहीं भूले। भ्रष्टाचार के इन कीर्तिमानों को स्थापित करने के लिए हर वो कार्य किया जो जनविरोधी और अलोकतांत् रिक हैं। सरकारे यह भूल जाती है कि जनता ने उन्हें चुना है और जनता ही देश की असली मालिक है एवं सरकार उनकी चु ने हुई नौकर। इसलिए मालिक होने के नाते जनता को यह जानने का पू रा अधिकार है, कि जो सरकार उनकी सेवा है, वह क्या कर रही है ?
प्रत्येक नागरिक सरकार को किसी ने किसी माध्यम स े टेक्स देती है। यहां तक एक सुई से लेकर एक माचिस तक का टैक्स अदा क रती है। सड़क पर भीख मांगने वाला भिखारी भी जब बाज़ार से कोई सामान खरीदता है, तो बिक्री कर, उत्पाद कर इत्य ादि टैक्स अदा करता है।
इसी प्रकार देश का प्रत्येक नागरिक टैक्स अदा कर ता है और यही टैक्स देश के विकास और व्यवस्था की आध ारशिला को निरन्तर स्थिर रखता है। इसलिए जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उसके द्व ारा दिया गया, पैसा कब, कहाँ, और किस प्रकार खर्च कि या जा रहा है ? इसके लिए यह जरूरी है कि सूचना को जनता के समक्ष र खने एवं जनता को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान.कि या जाए, जो एक कानून द्वारा ही सम्भव है।
Das Recht auf Information (RTI) ist ein Gesetz des indischen Parlaments, das die praktische Regelung des Rechts auf Information für Bürger festlegt und das frühere Informationsfreiheitsgesetz von 2002 ersetzt. Gemäß den Bestimmungen des Gesetzes ist jeder Bürger Indiens berechtigt kann Informationen von einer „öffentlichen Behörde“ (einem Regierungsorgan oder einer „staatlichen Einrichtung“) anfordern, die zügig oder innerhalb von dreißig Tagen antworten muss. Das Gesetz verlangt außerdem von jeder Behörde, ihre Aufzeichnungen für eine weite Verbreitung zu computerisieren und proaktiv bestimmte Kategorien von Informationen bereitzustellen, damit die Bürger nur minimale Möglichkeiten haben, Informationen formell anzufordern.
Dieses Gesetz wurde am 15. Juni 2005 vom Parlament verabschiedet und trat am 12. Oktober 2005 vollständig in Kraft. Der erste Antrag wurde bei einer Polizeistation in Pune eingereicht. Die Offenlegung von Informationen wurde in Indien durch den Official Secrets Act von 1923 und verschiedene andere Sondergesetze eingeschränkt, die durch das neue RTI-Gesetz gelockert werden. Es kodifiziert ein Grundrecht der Bürger.
Das Recht auf Information von RTI wird in Indien von zwei großen Gremien geregelt:
Central Information Commission (CIC) – Chief Information Commissioner, der alle zentralen Abteilungen und Ministerien leitet – mit eigenen Public Information Officers (PIO). CICs unterstehen direkt dem indischen Präsidenten.
State Information Commissions – State Public Information Officers oder SPIOs – Das SPIO-Büro ist für alle Abteilungen und Ministerien des Bundesstaates zuständig und untersteht direkt dem Gouverneur des Bundesstaates.
Staatliche und zentrale Informationskommissionen sind unabhängige Einrichtungen und die Zentrale Informationskommission hat keine Zuständigkeit für die staatliche Informationskommission.