Sachchi Ramayan autorstwa Periyar w hindi | रामायण | sachi Ramayan, prawdziwy Ramayan

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सच्ची रामायण - Sachchi Ramayan APP

Sachchi Ramayan autorstwa Periyara w hindi, सच्ची रामायण , sachi ramayan
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देखिए एक सिक्के के दो पहलू होते है, लेकिन हम एक समय में सिर्फ एक ही पहलू देख पाते है, वो ही हाल रामायण का है, हम आज तक रामायण का सिर्फ एक ही पहलू देखते आए , हमने वो ही मान लिया, जो धार्मिक शोषितों के द्वारा हमें बताया और समजाया गया। लेकिन अब समय बदल चूका है, जब आप सच्ची रामायण का अध्धय करोंगे तो आप पाओंगे कि हम कितने मूर्ख थे, कि आज तक हम इन धर्म के ठकेदारों की बातों में आते रहे और अपना ही नुकसान करते

Lalai Singh Yadav' (1921-1993) był policjantem w paramilitarnym, który został działaczem na rzecz sprawiedliwości społecznej i pisarzem. Pisał sztuki takie jak Shambhuk Vadh. Przetłumaczył „Klucz do zrozumienia prawdziwego Ramayana” Periyara E. V. Ramasamy'ego z języka tamilskiego na hindi jako Sachi Ramayan Ki Chabi. W 1962 napisał książkę zatytułowaną Baman Vadi Rajya Mein Shoshito Par Rajnaitik Dakaiti. Walczył przeciwko rządowi UP w sprawie o wolność słowa w sprawie jego zakazu książek

रामायण ई.वी. रामासामी नायकर 'पेरियार' की बहुचर्चित और सबसे विवादस्पद कृति रही है। पेरियार रामायण को एक राजनीतिक ग्रन्थ मानते थे। उनका कहना था कि इसे दक्षिणवासी अनार्यों पर उत्तर के आर्यों की विजय और प्रभुत्व को जायज़ ठहराने के लिखा गया और यह ग़ैर-ब्राह्मणों पर ब्राह्मणों और महिलाओं पर पुरुषों के वर्चस्व का रामायण की मूल अन्तर्वस्तु को उजागर करने के लिए पेरियार वाल्मीकि 'वाल्मीकि रामायण' के अनुवादों सहित; अन्य राम कथाओं, जैसे—'कंब रामायण', 'तुलसीदास की रामायण' (रामचरित मानस), 'बौद्ध रामायण', 'जैन रामायण' आदि के अनुवादों तथा उनसे सम्बन्धित ग्रन्थों चालीस चालीस तक अध्ययन किया और 'रामायण पादीरंगल' (रामायण के पात्र) में उसका निचोड़ प्रस्तुत किया। पुस्तक 1944 में तमिल भाषा इसका अंग्रेज़ी 'द रामायण : अ ट्रू रीडिंग' नाम से 1959 में प्रकाशित हुआ। यह किताब हिन्दी में 1968 में 'सच्ची रामायण' नाम से प्रकाशित हुई , जिसके प्रकाशक लोकप्रिय बहुजन कार्यकर्ता ललई थे। 9 czerwca 1969 r. को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर प्रतिबन्ध लगा और पुस्तक पुस्तक की सभी ज़ब्त कर लिया। ललई सिंह यादव ने इस प्रतिबन्ध और ज़ब्ती को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वे हाईकोर्ट में मुक़दमा जीत गए। सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 16 stycznia 1976 r. प्रस्तुत किताब में 'द रामायण : अ ट्रू रीडिंग' का नया, सटीक, सुपाठ् य और अविकल हिन्दी अनुवाद दिया गया साथ ही इसमें 'सच्ची रामायण' पर केन्द्रित लेख व पेरियार का जीवनचरित भी दिया गया , जिससे इसकी महत्ता बहुत बढ़ गई है। यह भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन के इतिहास को समझने के इच्छुक हर व्यक्ति के लिए एक आवश्यक पुस्तक हैं।

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