ログイン して翻訳を追加するकसंघ का उद्देश्य है

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श्री क्षत्रिय युवक संघ SHRIKYS APP

ログイン して翻訳を追加する名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前विष तत्व का नाश करने और अमृत तत्व की रक्षा करनेログイン して翻訳を追加するयक और अनिवार्य है।ログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するतकिए।ログイン アカウント登録 ログインログイン して翻訳を追加するय और अविकसित विदेशियों की दृष्टि पड़ी तो उन्होंログイン して翻訳を追加する्रयत्न किया। बर्बर जातियों द्वारा भारत की संपत्ति और उसके मログイン して翻訳を追加する名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前: किया।ログイン して翻訳を追加するय संस्कृति को जीवित रखने का प्रयत्न किया।ログイン して翻訳を追加するय-सत्ता को तो नष्ट किया ही, किन्तु साथ ही शत्रुログイン して翻訳を追加するनिर्बल बनाने का प्रयत्न किया।ログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するं अपनी भूमिका तय कर रहे थे किंतु क्षत्रिय समाज उログイン して翻訳を追加するत्याग और बलिदान की नींव पर खड़े अपने स्वधर्म को名前: स्थिति में पहुंच चुकी थी। 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、 、ログイン して翻訳を追加するवयं भटक रहा था। ऐसे संक्रमणकाल में समय की मांग को पहचानकर क्षत को उसके कर्त्तव्यपथ पर पुनः आरूढ़ करने के लログイン して翻訳を追加するंघ की स्थापना की।

औपचारिक रूप में श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्था 1944 年ログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するसकी स्थापना की गई थी। 20 年 20 月 20 日 20 年 20 月 20 日ログイン して翻訳を追加するं की भांति सम्मेलन、अधिवेशन、प्रस्ताव आदि तक सीम ित रहे। 1945 年 05-06 年、1945 年 05-06 年 (राजस) (्थान) में हुआ तथा द्वितीय अधिवेशन राजस्थान के झु 11-12 年、1946 年ोजित हुआ।ログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するऔरकार की औपचारिक और सीमित प्रणाली से संभव नहीं थ ​​ी、इसीलिए वे इससे संतुष्ट नहीं थे।ログイン して翻訳を追加するचलेगए। इस दौरान कई अन्य संस्थाओं के संपर्क में रहते हुログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加する名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前: 名前: संघ के लिए एक `सामूहिक संस्कारमयी मनोवैज्ञा निक कर्मप्रणाली’ की रूपरेखा तैयार की। 21 年 1946 年 1946 年 1946 年सशन रोड स्थित मलसीसर हाउस में संघ की तत्कालीन काログイン して翻訳を追加するログイン して翻訳を追加するवरखा। तनसिंह जी ने अपने साथियों को अपनी विचारधारा, उदログイン して翻訳を追加するार से समझाया।ログイン して翻訳を追加する22 年、1946 年 1946 年 10 月 22 日ログイン して翻訳を追加する25-31 日 25-31 日 25-31 日 25-31 日 25-31 日घके पहले शिविर का आयोजन हुआ। शिविर में अनुशासन के स्तर और शिक्षण की गरिमा को देखकर तनसिंह जी व अन्य साथियों को सप्रणाली मेログイン して翻訳を追加するयुवक संघ निरंतर अपनी ‘सामूहिक संस्कारमयी कर्मप्मप्मप् रणाली’ के माध्यम समाज में कार्य कर रहा है।
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