श्री क्षत्रिय युवक संघ SHRIKYS APP
औपचारिक रूप में श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्था Nel 1944 è successo पूज्य तनसिंह जी द्वारा पिलानी के राजपूत छात्र Lo so, lo so, lo so. सकी स्थापना की गई थी। Sono pronto per 20 anni e mezzo. Questo è il motivo per cui sono in grado di farlo. ं की भांति सम्मेलन, अधिवेशन, प्रस्ताव आदि तक सीम ित रहे। L'episodio è stato pubblicato il 5 e il 6 giugno 1945 (राजस) ्थान) में हुआ तथा द्वितीय अधिवेशन राजस्थान के झु L'uomo è morto nell'11-12 settembre 1946. ोजित हुआ। किन्तु तनसिंह जी ने जिस उद्देश्य से श्री क्षत् रिय युवक संघ की स्थापना की थी उसकी प्राप्ति इस प ्रकार की औपचारिक और सीमित प्रणाली से संभव नहीं त Ebbene sì, lo so, lo so. इसी बीच कानून की पढ़ाई के लिए तनसिंह जी नागपुर चले गए। इस दौराऩ E io sono qui पूज्य श्री का चिंतन चलता रहा। Lo sai e lo sai ुवक संघ के लिए एक 'सामूहिक संस्कारमयी मनोवैज्ञा निक कर्मप्रणाली’ की रूपरेखा तैयार की। 21 gennaio 1946, में उन्होंने जयपुर के स्ट ेशन रोड स्थित मलसीसर हाउस में संघ की तत्कालीन का Lo sai, lo sai e lo sai. Non preoccuparti, non preoccuparti. व रखा। तनसिंह जी ने अपने साथियों को अपनी विचारधारा, उद ्देश्य और प्रस्तावित प्रणाली के बारे में विस्त ार से समझाया। सभी के द्वारा सहमति प्रदान करने पर अगले ही दिन 22 ottobre 1946, quando è morto. संघ की अपने वर्तमान स्वरूप में स्थापना हुई। जयपुर में ही क्षत्रिय युवक सं घ के पहले शिविर का आयोजन हुआ। Il tuo nome è quello di cui hai bisogno देखकर तनसिंह जी व अन्य साथियों को इस प्रणाली मे ं पूर्ण विश्वास हो गया तथा तभी से श्री क्षत्रिय युवक संघ निरंतर अपनी 'सामूहिक संस्कारमयी कर्मप् रणाली’ के माध्यम से समाज में कार्य कर रहा है।