Salmo 19 APP
2 एक दिन उसकी चर्चा दूसरे दिन करता है; एक रात इसे दूसरी रात में प्रकट करती है।
3 बिना बोली वा वचन के उसका शब्द नहीं सुना जाता।
4 परन्तु उसका शब्द सारी पृथ्वी पर, और उसकी बातें जगत की छोर तक गूँजती रहती है। उस ने आकाश में सूर्य के लिथे तम्बू खड़ा किया,
5 जो उस दूल्हे के समान है, जो अपना कमरा छोड़कर वीर के आनन्द के साथ अपके जीवन में प्रवेश करता है।
6 वह आकाश की एक छोर से निकलती है, और दूसरी ओर जाती है; इसकी गर्मी से कुछ नहीं बचता।
7 यहोवा की व्यवस्था सिद्ध है, प्राण को ताज़गी देती है। यहोवा की चितौनियाँ विश्वसनीय हैं और अनुभवहीन को बुद्धिमान बनाती हैं।
8 यहोवा के उपदेश धर्मी हैं, और मन में आनन्द लाते हैं। यहोवा की आज्ञाएँ स्पष्ट हैं और आँखों में ज्योति लाती हैं।
9 यहोवा का भय मानना शुद्ध है, और सदा बना रहता है। यहोवा के नियम सत्य हैं, वे सब धर्मी हैं।
10 वे सोने से, और बहुत चोखे सोने से भी अधिक मनभावन हैं; वे कंघी की बूंदों से भी मधु से अधिक मीठे हैं।
11 उनके द्वारा तेरा दास चिताया जाता है; उनकी आज्ञा मानने से बड़ा प्रतिफल मिलता है।
12 अपनी भूलों को कौन समझ सकता है? मुझे उन लोगों से दूर करो जिन्हें मैं नहीं जानता!
13 और अपके दास को जानबूझकर किए हुए पापोंसे बचाए रखना; उन्हें मुझ पर हावी न होने दें! तब मैं निर्दोष और बड़े अपराध का निर्दोष ठहरूंगा।
14 हे यहोवा, मेरी चट्टान और मेरे छुड़ानेवाले, मेरे मुंह के वचन और मेरे मन का ध्यान तुझे भाए!