दृष्टिबाधितों के लिए आरबीआई द्वारा मणि

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6 नव॰ 2023
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आरबीआई, बैंकनोट्स की पहचान में दृष्टिबाधित लोगों की चुनौतियों के प्रति संवेदनशील हैं। तकनीकी प्रगति ने भारतीय बैंकनोटों को दृष्टिबाधित लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाने के नए अवसर खोले हैं, जिससे उनके दिन-प्रतिदिन के लेन-देन में आसानी हुई है। आरबीआई ने मणि को विकसित किया है, जो दृष्टिबधित को नोटों के मूल्यवर्ग को पहचानने में मदद करता है। यह एप्लिकेशन स्मार्टफोन के कैमरे के माध्यम से करेंसी नोट का मूल्यवर्ग हिंदी या अंग्रेजी में घोषणा करता है और इसे वाइब्रेशन या कम्पन के माध्यम से भी संचार किया जाता है।

मणि, दृष्टिबाधितों को अपने स्मार्टफोन के साथ बातचीत करने के लिए एंड्रॉइड फोन के अंतर्निहित टॉकबैक सुविधा का उपयोग करता है|

अस्वीकरण – मणि आरबीआई द्वारा भारतीय बैंक नोटों के मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों के मार्गदर्शन के लिए बिना कीमत के उपलब्ध करवाया गया है। आरबीआई और उसके कोई प्राधिकारी, न तो एजेंसियां, कोई अधिकारी और न ही कर्मचारी या परामर्शदाता इस बात की कोई वारंटी देते हैं, न ही इस बात का कोई प्रतिनिधित्व करते हैं और न ही उसे अभिव्यक्त अथवा निहित करते हैं कि इस एप्लिकेशन पैकेज द्वारा दिये गए परिणाम सही, सटीक और पूर्ण है। ये परिणाम परिस्थिति की भिन्नता, जिसमें प्रकाश व्यवस्था, बैंक नोटों की गंदे होने की स्थिति तथा आस-पास मौजूद वस्तुओं के प्रभाव भी शामिल है किन्तु ये यहाँ तक ही सीमित नहीं हैं, के आधार पर भी भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। एप्लिकेशन से प्राप्त होने वाले परिणामों के संदर्भ में उपयोगकर्ता नोट पहचान के अन्य तरीकों के माध्यम से भी मूल्यवर्ग की जांच करें एवं इस संदर्भ में अपने विवेक का उपयोग करें। आरबीआई इस एप्लीकेशन के परिणामों के लिए तथा उपयोगकर्ताओं द्वारा उक्त परिणामों के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय के लिए कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता है तथा इसके लिए आरबीआई के खिलाफ कोई दावा नहीं होगा। इस एप्लीकेशन को डाउनलोड, एक्सेस या उपयोग करके आप इस अस्वीकरण के लिए अपनी सहमति व्यक्त करते हैं। यह मोबाइल एप्लीकेशन भारतीय बैंक नोटों की वास्तविकता की जांच अथवा प्रमाणीकरण नहीं करता है|
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