Al Hizbul Azam APP
अली बिन सुल्तान मुहम्मद अल कारी अल हार्वी जो मुल्ला अली कारी के नाम से जाने जाते हैं 11वीं सादी हिजरी के मशूर मोहद्दीस, फकीह और उलूम-ए अकलियाह वा नक़लियाह के जामे, फ़िक़्ह, हदीस और इल्म-ए कलाम में कमाल का दरजा रखनेवाले 125 से ज़ैद किताबों के मुसन्निफ़ (लेखक) हैं।
दुआओं के सिलसिला में आपकी किताब "अल हिजबुल आज़म" बहोत अहम, निहायत उम्दाह किताब है, जिस्को कुबुलीयते अम्मा (शोहरत) हसील हुई। ये किताब कुरान वा हदीस में मजूर (ज़िक्र की गई) दुआओं और सलात वा सलाम पर मुश्तमिल है जो हफ्ते के सात (7) दिनों के लिहाज़ से सात (7) मंजिल पर मुनकासिम (विभाजित) है, हमारे अकबरीन (महान विद्वान) अपने मुतवसिलीन (अनुयायियों) को ये हिदायत दे की रोज़ाना "अल हिजबुल आज़म" की एक मंजिल पढ़ने का मामुल बनायें।
अल्लाह के फजल वा करम से मुंबई की चांद फिकरमंद ख्वातीन ने इस किताब का तारजामा रोमन अंग्रेजी में किया है ताकी वो तबका जो सिरफ अंग्रेजी पढ़ने पर कादिर है वो इस रोमन अंग्रेजी तारजामा की मदद से दुआओं का मतलब वा माफहम समाज खातिर, इस रोमन अंग्रेजी तारजामा में मौलाना बद्र-ए-आलम मेराठी रहमतुल्लाह अलैही के तारजामे से इस्तिफादा और मदद ली गई है।
इस तारजामा की खिदमत अंजाम देनेवाली जमात में वकील (वकील, एलएलएम), तालीबात (छात्र) और अलीमात वघैरा शामिल हैं। इस किताब की प्रूफ रीडिंग और तशीह (सुधार) मुंबई के मुस्तनाद मुफ्तियान-ए किरम, उलेमा और आलिमात ने बड़ी तवाज्जो और बारीक बिनी से की है, इस्के बाद भी अगर कहीं कोई खराब नजर आए तो (तोह) इत्तेला फरमाये सही आ गए किया जा साके।
नोट: ये किताब प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर भी उपलब्ध है मुफ्त में और जो अहले खैर हज़रत इस किताब को दोबारा प्रकाशित करें / छपने का इरादा रखते हों वो इस ईमेल आईडी पर संपर्क करें पूरी मालुमत दी जाएगी।
ईमेल: banatulmuslimeen2021@gmail.com